Bihar Land Registry
बिहार सरकार की ओर से Bihar Land Registry के लिए नए नियम को पारित किया गया है। जिसके कारण बिहार में जमीन की खरीद बिक्री में काफी ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को मिली है। ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि बिहार सरकार की ओर से नए नियम को लागू करके लोगों के पीछे रखी गई है। इसके बारे में डिटेल्स जानकारी इस लेख के माध्यम से प्रत्येक व्यक्तियों तक पहुंचाई गई है। जिन्हें जानना अत्यंत आवश्यक है।
खबर अनुसार यह जानकारी निकाल कर सामने आई है, कि जिसके नाम से जमीन जमाबंदी होंगे। उन्हीं के द्वारा अपनी जमीन को बेचा जा सकता है। अब समस्या यह खड़ी हुई कि पूर्वजों की जमीन को अपने हवाले करना थोड़ा मुश्किल हो गया है। लेकिन अब आपको घबराने की कोई आवश्यकता नहीं क्योंकि यहां कुछ ऐसी जानकारी आपके साथ साझा किया जा रहा है। जिनकी सहायता से आप आसानी से पैतृक संपत्ति को अपने हवाले कर सकते हैं।
पैतृक संपत्ति क्या है? Bihar Land Registry
पैतृक संपत्ति का अर्थ है, हमारे पूर्वज द्वारा विरासत में जो भी संपत्ति मिलती है। उन्हें पैतृक संपत्ति के नाम से जाना जाता है, या फिर इसके अलावा पूर्वजों के द्वारा हमें उत्तराधिकार के तौर पर जो संपत्ति प्राप्त होती है। उन्हें पैतृक संपत्ति कहा जाता है। इसका साफ-साफ अर्थ यह हुआ कि पूर्वजों द्वारा दी गई संपत्ति को अर्जित नहीं किया जाता, बल्कि पूर्वजों द्वारा कानून के तौर पर उनके संतानों को हवाले किया जाता है।
भारत के अधिनियम अनुसार 1956 के तहत पूर्वजों की संपत्ति को सौंपने को परिभाषित किया जाता है। पूर्वजों की संपत्ति को पूर्वजों की जानकारी के बगैर आप इसका विभाजन किसी भी तौर पर नहीं कर सकते हैं। यदि आप ऐसा करते हैं तो यह नियम का उल्लंघन कहा जा सकता है।
पूर्वजों की संपत्ति हो सकती है?
पूर्वजों की संपत्ति में हमारा हक कितना हो सकता है या फिर इनकी संपत्ति हमारी कौन-कौन सी हो सकती है। इसके बारे में डीटेल्स जानकारी कुछ इस प्रकार वर्णित है?
- पूर्वजों द्वारा प्राप्त किए गए भूमि
- पूर्वजों का मकान
- बिजनेस हमारी हो सकती है, यदि पूर्वज द्वारा बिजनेस चलाए जा रहे थे।
- किसी ही प्रकार की चल संपत्ति
पूर्वजों की संपत्ति पर अधिकार किनका होता है?
- जो भी संपत्ति पूर्वज द्वारा दिए जाते हैं, उन पर नियम अनुसार अधिकार उनके संतान बेटी- पुत्रों का होता है।
- किसी प्रकार की आपत्ति पूर्वजों की संपत्ति पर देखने को मिलती है। तो उनका अधिकार कानूनी प्रक्रिया द्वारा अधिकारी जानकारी अनुसार उस संपत्ति पर पत्नी का हक बनता है।
- सदियों से हमारे देश में पूर्वजों की संपत्ति को लेकर विवाद चलती रहती है। जिसके लिए राज्य सरकार के द्वारा एक से बढ़कर एक कानून को पारित किया जा रहा है।
पूर्वजों की संपत्ति अपने नाम करना क्यों है जरूरी?
फिलहाल सरकार की ओर से Bihar Land Registry के नए नियम को लाया गया है। जिसके तहत पूर्वजों की जमीन को अपने नाम करने में बहुत सारी परेशानियां देखने को मिल रही है। साथ ही यह जानकारी निकलकर सामने आई है, कि लगातार विवाद को देखते हुए पूर्वजों की जमीन को अपने नाम करना अत्यंत आवश्यक बनता चला आ रहा है।
बिहार सरकार गाइडलाइन के अनुसार Bihar Land Registry New Guidelines के द्वारा यह जानकारी प्रत्येक लोगों तक पहुंचाई गई है, कि जमीन की बिक्री वही आदमी कर पाएंगे। जिनके नाम से जमीन जमाबंदी है। एवं उनका पूरा अधिकार रजिस्ट्री को लेकर सरकार द्वारा सुनाई गई है।
यदि आप किन्ही समस्या की वजह से पुश्तैनी जमीन को बिक्री के बारे में सोच रहे हैं। तो मैं बताना चाहूंगा कि उनका बटवारा कानून के अनुसार जमाबंदी खुद के नाम पर होना अनिवार्य है। तभी आपका हक उसे जमीन को बेचने का होगा। संपूर्ण जानकारी देखी जाए तो पुश्तैनी की जमीन को बंटवारे के लिए आपको कागजात पहले से तैयार करने जरूरी है।
पूर्वजों की जमीन को अपने नाम पर करने के लिए उपयुक्त दस्तावेज
- उपयुक्त दस्तावेज के तौर पर उम्मीदवार के पास जाति प्रमाण पत्र के साथ निवासी प्रमाण पर होना अनिवार्य है।
- वसीयत/ वसीयतनामा
- उत्तराधिकार प्रमाण पत्र
- पूर्वजों की मृत्यु प्रमाण पत्र
- वंशावली सूची प्रमाण पत्र
- शपथ प्रमाण पत्र
- आवेदनपत्र
- हलफनामा
- संपत्ति का नक्शा
पूर्वजों की संपत्ति अपनाने के लिए कानूनी नियम
नए नियम अनुसार जो भी व्यक्ति अपने पूर्वज की संपत्ति को अपनाना चाहते हैं। तो इसके लिए सबसे पहले जमीन की मालिक की मृत्यु होना अनिवार्य है। यदि जमीन का मालिक जिंदा है, तो नए नियम अनुसार उस जमीन पर आपका हक नहीं बनता है। पूर्वजों की संपत्ति को अपने नाम पर करने के लिए मालिक की मृत्यु अति आवश्यक है। तभी आपके पूर्वजों की संपत्ति आपका नाम पर हो सकती है।
पैतृक संपत्ति कैसे कराएं अपने नाम
जो भी व्यक्ति अपने पैतृक संपत्ति को अपने नाम पर करने के बारे में सोच रहे हैं। उन्हें जानकारी के तौर पर मैं बताना चाहूंगा कि पूर्वजों की संपत्ति विरासत के तौर पर मिलती है। जिसका उल्लंघन कानूनी तौर पर नहीं किया जा सकता है। संपत्ति को लिखित प्रक्रिया के माध्यम से प्राप्त करने के लिए दाखिल खारिज करवाना अति आवश्यक है।
- ध्यान देने वाली बात है कि पूर्वजों संपत्ति को अपनाने के लिए तहसील कार्यालय में ठोस सबूत शामिल करने पड़ेंगे। सबसे पहले व्यक्ति द्वारा संपत्ति का उत्तरदायित्व सबूत देने होंगे।
- यदि पैतृक संपत्ति पर आप अपने वसीयत कर रखे हैं। तो पूर्वज की संपत्ति को अपनाना आपके लिए आसान हो जाता है।
- वहीं यदि आप कानून के खिलाफ पैतृक संपत्ति को वसीयत करते हैं। तो कोर्ट के द्वारा मंजूरी नहीं की जाएगी।
- पूर्वजों की मृत्यु के बाद जमीन अपनाने के लिए आपका हकदार भी बनना जरूरी है।
- जमीन को प्राप्त करने के लिए वंशावली आपके पास होना अनिवार्य है। ताकि आपको बंटवारे के समय किसी प्रकार की परेशानी ना हो।
- वंशावली के माध्यम से पूर्वजों की पैतृक संपत्ति प्रत्येक सदस्यों के बीच आसानी से बटवारा किया जा सकता है।
- प्रॉपर्टी के बंटवारे के तुरंत बाद ही आप ऑनलाइन दाखिल खारिज आवश्य करवाए।
- दाखिल खारिज के वेरिफिकेशन करने के लिए आपको आंचल में उपस्थित होना अनिवार्य है।
इन सभी उपयुक्त जानकारी को जानने के बाद आप आसानी से अपने पूर्वजों की जमीन को खुद के नाम पर कर सकते हैं। यदि दी हुई जानकारी अच्छी लगी हो तो इस लेख को अपने दोस्तों के साथ शेयर करना बिल्कुल ना भूले “धन्यवाद”
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