बिहार सरकार की ओर से बिहार वासियों के लिए बड़ी खुशखबरी सुनाई जा रही है। बताया जाता है कि मनरेगा योजना का हाल काफी चुस्त दुरुस्त देखने को मिल रही है। नए आंकड़े के अनुसार 3 साल में करीबन एक प्रतिशत को भी 100 दिन का काम नहीं मिला है। देखा जाता है कि वित्तीय वर्ष 2023 से 24 में 0.69% परिवारों ने 100 दिन तक कार्य किया।
जबकि 474659 में सिर्फ 32558 लोगों ने ही 100 दिन तक कार्य किए हैं। बिहार में मनरेगा को लेकर सरकार की ओर से तमाम खबर प्रस्तुत की जा रही है कि 3 वर्ष में करीबन 1% परिवार को सुचारू रूप से कार्य नहीं दी गई है। इसके आंकड़े को पुष्टि की जा रही है।
सच्चाई निकाल कर सामने आए
तमाम करवी सच्चाई सामने आ रही है कि मंत्रिमंडल के माध्यम से प्राविधान में संशोधन किया गया है। बताई जा रही है कि अब मनरेगा में मांगने पर भी लोगों को काम सुचारू रूप से नहीं दी जा रही है। जिसके चलते बेरोजगारी अपनी चरम सीमा को कॉल कर रखी है।
नियम अनुसार मनरेगा के तहत काम मांगने पर 15 से 30 दिनों के अंदर काम देना होगा। जबकि काम नहीं मिलने की संदर्भ में सरकार के खिलाफ लोगों द्वारा अहिंसात्मक बात की गई है।
389 को ही मिली सौ दिनों तक की मजदूरी
बक्सर, गोपालगंज, जमुई, खगड़िया, शेखपुरा एवं सुपौल जिलों में एक भी व्यक्ति को सुचारू रूप से काम नहीं दी गई है जबकि वहीं अरवल, सारण, सहरसा, एवं कटिहार में मात्र एक-एक मजदूर को 100 दिन तक काम का मौका दिया गया है।
वहीं, देखी जाए तो राज्य में 389 लोगों को काम दी गई जबकि इस वर्ष एक करोड़ 36 लाख 72933 परिवारों को मनरेगा के लिए सरकार की ओर से पंजीकृत की गई है।
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