वृद्धावस्था पेंशन योजना (ओपीएस) एक ऐसा कार्यक्रम था जहां सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद उनके वेतन के आधार पर एक निश्चित पेंशन मिलती थी। सेवानिवृत्त व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी उनके परिवार के सदस्य इस योजना के तहत पेंशन प्राप्त करने के हकदार थे। यह योजना 1 अप्रैल 2004 तक प्रभावी थी।
राष्ट्रीय पेंशन योजना और उसके पश्चात् स्थिति
1 अप्रैल 2004 को सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया और उसके स्थान पर नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) को लागू किया गया। एनपीएस के अंतर्गत कर्मचारी और सरकार दोनों योगदान देते हैं और सेवानिवृत्ति के समय यही धनराशि कर्मचारी को प्राप्त होती है। हालांकि, कई कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को वापस लाने की मांग कर रहे हैं।
पुरानी पेंशन योजना के फायदे
पुरानी पेंशन योजना के कई लाभ थे। कर्मचारियों को इसके अंतर्गत रिटायरमेंट के बाद उनके वेतन का 50% पेंशन मिलता था। यह राशि उनके परिवार के सदस्यों के लिए भी उपलब्ध थी। साथ ही, पेंशन भत्ते में समय-समय पर बढ़ोतरी भी की जाती थी।
पुरानी पेंशन योजना की राज्यों द्वारा बहाली हुई है।
हाल ही में कई राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है। महाराष्ट्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए इस योजना को पुनः लागू करने की घोषणा की है। पंजाब और छत्तीसगढ़ सरकार भी इसी प्रकार की कार्रवाई की है।
हाल ही में कई राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना को पुनर्स्थापित करने का निर्णय लिया है। महाराष्ट्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए इस योजना को फिर से लागू करने की घोषणा की है। पंजाब और छत्तीसगढ़ की सरकारें भी इसी दिशा में कदम उठाया है।
उच्चतम न्यायालय का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने पुरानी पेंशन योजना के संबंध में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है, जिसमें कहा गया है कि पेंशन कर्मचारियों का हक है और राजनीतिक दलों को इसे मतदाताओं पर दबाव डालने के लिए नहीं उपयोग करना चाहिए।आंदोलन और धरना के बीच यूआरएल का अंतरिक्ष भी है।
आंदोलन और धरना
पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के लिए कर्मचारी संगठन लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी एवं निवासी संयुक्त संघर्ष समन्वय समिति ने 30 अक्टूबर से चरणबद्ध आंदोलन और दिल्ली में तीन दिवसीय धरना-प्रदर्शन की घोषणा की है।
पुरानी पेंशन योजना के बारे में सरकार और कर्मचारियों के बीच निरंतर विवाद चल रहा है। कई राज्यों ने इसे फिर से लागू करने का निर्णय लिया है। हालांकि केंद्र सरकार ने अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है। यह देखने योग्य होगा कि आगे क्या होता है।
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