अगर आप NPS में पेंशन के लिए निवेश कर रहे हैं तो यह समाचार आपके लिए महत्वपूर्ण है। हाँ, केंद्रीय कर्मचारियों और विभिन्न राज्य सरकारों के कर्मचारियों द्वारा ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के पुनर्स्थापन की मांग की जा रही है। हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, राजस्थान और झारखंड ने सरकारी कर्मचारियों की मांगों को स्वीकार करते हुए ओपीएस (OPS) को पुनः प्रारम्भ किया था। हालांकि, केंद्र सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया था। लेकिन भी, लाखों कर्मचारी अपनी मांग पर गंभीर हैं।
सरकार ने कर्मचारियों को 50% पेंशन देने का वादा किया है।
कर्मचारी यूनियनों का दावा है कि सेवानिवृत्ति के बाद एनपीएस के तहत कोई निश्चित लाभ उपलब्ध नहीं है, जबकि ओपीएस के तहत कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन मिलती है। सरकार की यह कोशिश है कि एनपीएस के तहत केंद्रीय कर्मचारियों को ओपीएस के समान लाभ मिले। सरकार एनपीएस के तहत आने वाले कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति होने के बाद मासिक वेतन का 50% पेंशन के रूप में देने की कोष शुल्क कर रही है।
कर्मचारियों को वर्तमान योजना से अच्छा लाभ हो रहा है।
सरकार इस कदम को उठाने जा रही है ताकि कर्मचारियों को यह चिंता न रहे कि उन्हें रिटायरमेंट के बाद पर्याप्त पेंशन मिलेगी या नहीं। जिन कर्मचारियों को 2004 के बाद भर्ती किया गया उनके लिए चल रही योजना से अच्छा लाभ मिल रहा है।
हालांकि, उसके लिए यह अहं है कि कर्मचारी ने 25-30 साल तक बिना किसी विचार के पैसे जमा रखना जारी रखा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा यह घोषणा की गई है कि वित्त सचिव टीवी सोमनाथन कमेटी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है।
निर्णय लिया गया कि OPS में फिर से वापस नहीं आना है।
संचारिक रिपोर्टों के अनुसार, टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) ने बताया है कि केंद्र सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) में वापसी करने से इंकार किया है। हालांकि, जब कांग्रेस मनमोहन सिंह सरकार ने उस समय एक निश्चित स्तर की मदद के लिए खिड़की खोली, सरकार ने निर्णय बदलने की घोषणा की थी।
रिटायरमेंट के बाद ओल्ड पेंशन स्कीम के अंतर्गत प्राप्त होने वाली पेंशन हर महीने आखिरी वेतन का आधा हिस्सा होती है। इस पेंशन में हमेशा समय-समय पर वेतन आयोग की सिफारिश के आधार पर बढ़ोतरी होती है। हालांकि, सरकारी कर्मचारी न्यू पेंशन स्कीम (NPS) में अपनी बेसिक सैलरी का 10% जमा करते हैं और सरकार 14% का योगदान करती है।