Onion price Hike: लोकसभा चुनाव समाप्त हो गए और नई सरकार बन गई है। चुनाव के समाप्त होने पर प्याज की कीमतों में तेज शुरूआत हो गई है, जिससे आम जनता पर कड़ा असर पड़ रहा है। पिछले सप्ताह में प्याज की कीमतों में 50 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। इस मौसम में प्याज की कीमतों में इस तरह की वृद्धि का कारण क्या है, इसे जानें।
प्याज के रेट से परेशान लोग
प्याज काटते समय जब इंसान रोते हैं, तो अब वह सोचते हैं कि प्याज खरीदने के लिए भी सोचना पड़ रहा है। लोकसभा चुनाव के बाद प्याज की कीमतों में तेजी आ गई है, जिससे पिछले एक हफ्ते में उनकी कीमतें 50 फीसदी से जेसे बढ़ गई है।
सरकार की पहले ही प्याज की कीमतों से चिंता थी। प्याज की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने दिसंबर 2023 में प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन उसे वित्त वर्ष की शुरुआत में ही उसे हटा दिया गया।
रिटेल मार्केट में प्याज की कीमत
अब रिटेल मार्केट में प्याज की कीमतों में एक बार फिर से चढ़ाव ने सरकार के लिए परेशानियां बढ़ा दी है, जो आम जनता के लिए कठिनाई उत्पन्न कर रही है। यहाँ तक कि आलू की कीमतें भी उछाल रही हैं। गर्मियों में हरी सब्जियों सहित आलू-प्याज की कीमतें बढ़ गई हैं, जो आम जनता के लिए परेशानीयों का कारण बन रही है।
दाल की कीमत आसमान छू रही है।
खेरची बाजार में मंगलवार को सामान्य क्वालिटी का आटा 30 से 31 रुपये किलो बिका, और मध्यम क्वालिटी के आलू-प्याज भी 35-40 रुपये किलो में बिके। पिछले साल इन दिनों की तुलना में, सामान्य थाली की महंगाई लोगों को चौंका रही है। पिछले साल जून में इंदौर और राज्य के आम खिड़की बाजार में गेहूं का आटा 27 रुपये प्रति किलो बिक रहा था।
जबकि दालें 80 रुपये से लेकर 150 रुपये प्रति किलो तक बिक रही थीं। आम चुनाव के मौसम में खाद्य पदार्थों की बढ़ती महंगाई भी सिस्टम पर सवाल उठा रही है. आलू और प्याज की कीमतें पिछले साल जून की कीमतों की तुलना में लगभग आधी हैं।
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